Posted On : 07 September 2025
गांठ छोटी हो सकती है या बड़ी, स्थिर हो सकती है या बढ़ती हुई, और इसके कई कारण हो सकते हैं। अधिकतर गांठें सौम्य होती हैं, पर कुछ गंभीर बीमारियों, जैसे कैंसर का संकेत भी हो सकती हैं। आयुर्वेद और घरेलू उपायों से इन गंठाओं का प्राकृतिक उपचार संभव है, जिससे बिना सर्जरी के भी फायदा मिलता है। इस लेख में गांठ के विभिन्न कारण, लक्षण, प्रकार, और उनका रामबाण इलाज विस्तार से समझाया गया है।
गांठ शरीर के किसी भाग में असामान्य बढ़ी हुई टिशू या उभार होती है। यह ठोस या नरम हो सकती है और कई कारणों से बनती है। ये लिम्फ नोड्स, सिस्ट, लिपोमा, फोड़ा-पिंपल, सूजन या ट्यूमर हो सकती हैं। गांठ की प्रकृति के आधार पर इसका इलाज अलग-अलग होता है।
संक्रमण से लिम्फ नोड्स बढ़ जाते हैं।
वसा से बनी सौम्य गांठ।
तरल पदार्थ से भरी थैली।
संक्रमण से उत्पन्न सूजन।
नसों या ऊतकों में असामान्य कोशिका वृद्धि।
हल्दी में करक्यूमिन सूजन कम करता है। प्रतिदिन 1 चम्मच गरम दूध में 1 चम्मच हल्दी मिलायें। हल्दी का पेस्ट नारियल तेल के साथ सेवन से राहत मिलती है।
गरम अरंडी तेल से रोज़ मालिश करें, फिर गरम कपड़े से सिकाई करें।
रोज़ खाली पेट 2-3 लहसुन की कलियाँ लें। लहसुन पेस्ट पर सूजन कम होती है।
दिन में दो बार 1 माइक्रोवेव अश्वगंधा पाउडर गुणगुणे दूध के साथ लें। यह इम्युनिटी रिक्वेस्ट है।
सुबह खाली पेट 2 गिलोय रस या काढ़ा पिएं। यह वैयक्तिक पदार्थ बाहर जाता है।
नीम के पेस्ट के पेस्ट पर रूमाल और काढ़ा पीएं।
आयुर्वेदिक औषधि कांचनार गुग्गुल मोती का फूल उसे काम देता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेकर लें।
आयुर्वेद में पंचकर्म जैसे बस्ति, विरेचन, रुधिर मोक्षण से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं और गांठे कम होती हैं।
यह श्वसन अभ्यास शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर गांठ को कम करने में मदद करता है।
एलोपैथी का इलाज मुख्य रूप से दवाइयों, सर्जरी या कीमोथेरेपी पर निर्भर करता है जबकि आयुर्वेद शरीर को अंदर से मजबूत कर प्राकृतिक चिकित्सा प्रदान करता है। आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों, योग, डिटॉक्स और पाचन सुधार के माध्यम से गांठों का इलाज होता है।
गांठ के रामबाण इलाज के लिए प्राकृतिक, आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे बहुत प्रभावी हैं। हल्दी, अरंडी तेल, गिलोय, अश्वगंधा, नीम आदि के उपयोग से सूजन कम होकर गांठों का उपचार संभव है। परंतु गंभीर स्थिति, तेजी से बढ़ती गांठ, या दर्द के मामले में डॉक्टर से आवश्यक परामर्श लेना चाहिए। जीवनशैली में सुधार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ खानपान से शरीर का संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है और गांठ की पुनरावृत्ति कम होती है। ध्यान रखें, स्वास्थ्य सर्वोपरि है।